भारत से पहली बार निर्यात होगा 192 मीट्रिक टन गाय का गोबर, 15 जून को कुवैत भेजा जाएंगे कंटेनर - 1 News

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शनिवार, 11 जून 2022

भारत से पहली बार निर्यात होगा 192 मीट्रिक टन गाय का गोबर, 15 जून को कुवैत भेजा जाएंगे कंटेनर



जयपुर। पशु उत्पादों के निर्यात का भारतीय कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण और सार्थक योगदान है। पशु उत्पादों के निर्यात में भैंस का मांस, भेड़/ बकरी का मांस, कुक्कुट उत्पाद, पशु खालें, दूध और दूध उत्पाद और शहद आदि शामिल हैं। वर्ष 2020-21 में भारत में पशु उत्पाद का निर्यात 27,155.56 करोड़ रुपए यानी 3,67024 मिलियन अमरीकी डॉलर था। 

      मगर, आपको यह जानकार हैरानी होगी कि देशी गाय के गोमूत्र व गोबर से निर्मित उत्पाद भी अब निर्यात होने लगे हैं। विदेशों में जैविक खाद की मांग निरंतर बढ़ रही है, लेकिन अब कई देशों ने देशी गाय के गोबर पर रिसर्च में पाया कि इससे न केवल फसल के उत्पादन को बढाया जा सकता है बल्कि इससे उत्पादित उत्पादों का उपयोग करने से गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है। 

     यही कारण है कि कई देश जैविक खाद के साथ-साथ देशी गाय के गोबर का भी भारत से आयात करने लगे हैं। इसी के तहत जयपुर की कंपनी सनराइज एग्रीलैंड डवलपमेंट एंड रिसर्च प्रा.लि. को कुवैत की एक कंपनी से 192 मीट्रिक टन देशी गाय के गोबर का ऑर्डर मिला है। यह सब संभंव हुआ है भारतीय जैविक किसान उत्पादक संघ के देश में चलाए जा रहे जैविक खेती मिशन की बदौलत। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अतुल गुप्ता के गौ संरक्षण अभियान का ही नतीजा है कि जयपुर से 192 मीट्रिक टन देशी गाय का गोबर कुवैत भेजा जाएगा। इसके लिए कस्टम विभाग की निगरानी में टोंक रोड स्थित श्रीपिंजरापोल गोशाला स्थित सनराइज ऑर्गेनिक पार्क में कटेनर में गोबर की पैकिंग का कार्य चल रहा है। इसकी पहली खेप के रूप में 15 जून को कनकपुरा रेलवे स्टेशन से कंटेनर रवाना होंगे।


इसलिए मिला गोबर निर्यात का ऑर्डर

डॉ. अतुल गुप्ता ने बताया कि कुवैत के कृषि वैज्ञानिकों ने गहन रिचर्स के बाद पाया है कि फसलों के लिए गाय का गोबर बेहद उपयोगी है। गाय के गोबर के इस्तेमाल से न केवल फसल उत्पादन में बढोतरी हुई, बल्कि इन जैविक उत्पादों के उपयोग से स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर देखने को मिला है। रिसर्च में यह भी पता चला है कि देशी गाय के गोबर का पाउडर के रूप में खजूर की फसल में इस्तेमाल करने से फल के आकार में वृद्धि के साथ-साथ उत्पादन में भी आशानुरूप बढ़ोतरी देखी गई है। यही, कारण है कुवैत की कंपनी लैमोर ने जयपुर से 192 मीट्रिक टन देशी गाय के गोबर के आयात का ऑर्डर यहां की कंपनी सनराइज एग्रीलैंड डवलपमेंट एंड रिसर्च प्रा.लि. को दिया है। 


भारत से जैविक खाद का निर्यात

श्रीपिंजरापोल गोशाला के महामंत्री शिवरतन चितलांगिया ने बताया कि भारत में मवेशियों की संख्या करीब तीस करोड़ है। इनसे रोज करीब 30 लाख टन गोबर मिलता है। इसमें से तीस फीसदी को उपला बनाकर जला दिया जाता है। जबकि ब्रिटेन में गोबर गैस से हर साल सोलह लाख यूनिट बिजली का उत्पादन होता है, तो चीन में डेढ़ करोड़ परिवारों को घरेलू ऊर्जा के लिए गोबर गैस की आपूर्ति की जाती है। राष्ट्रीय कृषि आयोग की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि गोबर को चूल्हे में जलाया जाना एक अपराध है। इसके व्यावहारिक इस्तेमाल के तरीके गोबर गैस प्लांट की दुर्गति यथावत है। राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत निर्धारित लक्ष्य के 10 फीसदी प्लांट भी नहीं लगाए गए हैं। ऊर्जा विशेषज्ञ मानते हैं कि हमारे देश में गोबर के जरिये 2000 मेगावाट ऊर्जा पैदा की जा सकती है। मगर अफसोस की बात है कि विदेशों ने गाय के गोबर के महत्व को भलीभांति समझा है, जिसका परिणाम ये है कि कई देश गाय के गोबर से निर्मित जैविक खाद का बहुतायत में उपयोग करने लगे हैं। उनके पास पर्याप्त मात्रा में गाय का गोबर नहीं उपलब्ध होने के कारण वे भारत से गोबर से निर्मित जैविक खाद (वर्मी कम्पोस्ट) आयात करने लगे हैं। खासकर अमेरिका, नेपाल, कीनिया,फिलिपिंस, दक्षिणी कोरिया, नेपाल ने भारत से जैविक खाद मंगवाना शुरू कर दिया है। लेकिन अपने यहां गोबर का सही इस्तेमाल हो, तो सालाना छह करोड़ टन लकड़ी व साढ़े तीन करोड़ टन कोयला बचाया जा सकता है।


 गोबर खाद की रासायनिक संरचना

कृषि एक्सपर्ट संगीता गौड़ ने कहा की चीन युग से ही “खाद” का पौधों, फसल उत्पादन में महत्वपूर्ण स्थान रहा है। खाद” का पौधों फसल उत्पादन में महत्वपूर्ण स्थान है। खाद शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के खाद्य शब्द से हुई है। गाय के गोबर में पूतिरोधी एन्टिडियोएक्टिव एवं एन्टिथर्मल गुण होता है गाय के गोबर में लगभग 16 प्रकार के उपयोगी खनिज तत्व पाये जाते हैं। पशुओं के ताजे गोबर की रासायनिक रचना जानने के लिए, गोबर को ठोस व द्रव दो भागों में बांटते हैं। बाहर के दृष्टिकोण से ठोस भाग 75% तक पाया जाता है। सारा फास्फोरस ठोस भाग में ही होता है तथा नत्रजन व पोटाश, ठोस द्रव भाग में आधे-आधे पाए जाते हैं। गोबर खाद की रचना अस्थिर होती है। किन्तु इसमें आवश्यक तत्वों का मिश्रण निम्न प्रकार है।


नाइट्रोजन 0.5 से 0.6 %

फास्फोरस 0.25 से 0.3%

पोटाश 0.5 से 1.0%


गोबर की खाद में उपस्थित 50% नाइट्रोजन, 20% फास्फोरस व पोटेशियम पौधों को शीघ्र प्राप्त हो जाता है। इसके अतिरिक्त गोबर की खाद में सभी तत्व जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, गंधक, लोहा, मैंगनीज, तांबा व जस्ता आदि तत्व सूक्ष्म मात्रा में पाए जाते हैं।


मानव जीवन में अत्यंत उपयोगी

सनराइज एग्रीलैंड डवलपमेंट एंड रिसर्च प्रा.लि. के डायरेक्टर प्रशांत चतुर्वेदी ने बताया कि गाय का गोबर मानव जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी है। भारत के ग्रामीण आंचल में गाय के गोबर के बहुत से उपयोग किये जाते हैं। लोग महंगे उत्पाद न खरीदकर गाय के गोबर से काम चला लेते हैं। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था का संतुलन बनकर चलता रहता है। यदि यह जांचा परखा जाए तो उस सुचारू व्यवस्था के पीछे आपको गाय खड़ी मिलेगी। जो लोग गाय के गोबर को केवल मल ही मानते या समझते हैं वे भूल करते हैं। गाय का गोबर मल नहीं है यह मलशोधक है, दुर्गन्धनाशक है एवं उत्तम वृद्धिकारक तथा मृदा उर्वरता पोषक है। यह त्वचा रोग खाज, खुजली, श्वासरोग, शोधक, क्षारक, वीर्यवर्धक, पोषक, रसयुक्त, कान्तिप्रद और लेपन के लिए स्निग्ध तथा मल आदि को दूर करने वाला होता है। बावजूद इसके आज भले ही हमारे देश के लोगों ने गाय के गोबर के महत्व को उतना नहीं समझा है, लेकिन विदेशियों ने इसकी प्रमाणिकता सिद्ध कर दी है।


 



 


 

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